है देखने वालो को समझने का इशारा,
थोड़ी नकाब आज वो सरकाए हुए है.
दिल से कहता है की खुर्सीद छुपा बदली में,
मूह छुपता है जो आँचल से वो दिलबर अपना.
दिल में होते हम तो भुला न पाते तुम,
ज़ेहन से तो अक्सर बाते निकल ही जाती है,
ये सोच कर भी दिल की धड़कन देहल जाती है,
मैं तेरी दुरी नहीं सहती तेरी जुदाई कैसे सहूंगी